झारखंड की बरहेट विधानसभा सीट इस बार विशेष रूप से चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, खासकर जब भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की. भाजपा ने गमालियल हेम्ब्रम को हेमंत सोरेन के खिलाफ उतारा है, जो पार्टी के एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं.
हेमंत सोरेन ने पिछले दो चुनावों में बरहेट से विजय प्राप्त की है और इस बार भी उन्होंने अपना नामांकन भरा है. भाजपा की ओर से उम्मीदवार के नाम की घोषणा में काफी समय लगा, लेकिन अब गमालियल हेम्ब्रम के नाम से स्थिति स्पष्ट हो गई है. गमालियल का नामांकन भाजपा की नई रणनीति का हिस्सा है, जिसमें युवा चेहरों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
गमालियल पिछले दस वर्षों से भाजपा से जुड़े हुए हैं. 2019 में उन्हें टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद उन्होंने आजसू पार्टी से चुनाव लड़ा था. अब जब भाजपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है, उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ गया है. गमालियल युवाओं के बीच एक पहचान बना चुके हैं और उनकी सक्रियता उन्हें चुनावी मैदान में एक मजबूत प्रत्याशी बनाती है.
बरहेट सीट को लेकर भाजपा के लिए चुनौतियां और भी बढ़ गई थीं, जब पार्टी की पूर्व नेता लुईस मरांडी ने भाजपा छोड़कर झामुमो का साथ थाम लिया. बताया जा रहा था कि लुईस को बरहेट से उम्मीदवार बनाने की योजना थी, लेकिन उन्होंने दुमका सीट को प्राथमिकता दी, जिससे भाजपा को नए उम्मीदवार की तलाश करनी पड़ी. अंततः गमालियल हेम्ब्रम का नाम सामने आया, जो भाजपा की नई रणनीति को दर्शाता है.
बरहेट सीट झामुमो की परंपरागत सीट मानी जाती है. 1990 से 2019 तक इस सीट पर केवल झामुमो का ही कब्जा रहा है. वर्तमान में हेमंत सोरेन यहां के विधायक हैं और लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं. इससे पहले हेमलाल मुर्मू विधायक थे, जिन्होंने झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, लेकिन चुनावी जनता ने उन्हें नकार दिया था. ऐसे में, भाजपा का गमालियल को हेमंत सोरेन के खिलाफ खड़ा करना एक सुनियोजित और दूरदर्शी रणनीति प्रतीत होता है.