झारखंड में अगले विधानसभा चुनाव के लिए 13 और 20 नवंबर को मतदान होने वाले हैं. इस चुनाव में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने सबसे अधिक, यानी 76 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इस मामले में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है.
जेएलकेएम की स्थापना के बाद से यह पार्टी राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में उभर रही है. इसके अध्यक्ष जयराम कुमार महतो दो सीटों—डुमरी और बेरमो—से चुनाव लड़ रहे हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग ने जेएलकेएम को एक राजनीतिक पार्टी के रूप में मान्यता दी है और इसे कैंची चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है.
राज्य में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें जेएलकेएम के अलावा भाजपा ने 68, झामुमो ने 43, और कांग्रेस ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
महतो और उनके सहयोगियों ने पिछले कुछ वर्षों में झारखंडी भाषा और स्थानीय नीति जैसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है. तीन महीने पहले, उन्होंने ‘झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा’ का गठन किया, जिसके तहत उन्होंने स्थानीय युवाओं के मुद्दों और प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधलियों पर आंदोलन चलाए.
पार्टी का लोकसभा चुनाव में भी प्रभावी प्रदर्शन रहा था, जहां उसने 14 में से 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, और करीब 8.5 लाख वोट प्राप्त किए थे.
साथ चलने वालों को उठ रहा है भरोसा !
जयराम महतो के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाले नेताओं का अब जयराम से मोह भंग हो रहा है. संजय मेहता जो लोकसभा में हजारीबाग से पार्टी के उम्मीदवार थे , उन्होंने पार्टी छोड़ दी. संजय के पार्टी छोड़ने के बाद से कई नेता और समर्थकों ने जयराम को टाटा बाय बाय कह दिया. इतना ही नहीं पार्टी छोड़े नेताओं ने जयराम पर कई संगीन आरोप लगाये है. लोकसभा में जो क्रेज जयराम का था वो कही न कही विधानसभा चुनाव में कम होता नजर आ रहा है.