झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में एक ओर जहां हेमंत सोरेन की लोकप्रियता है, वहीं दूसरी ओर एनडीए के प्रमुख नेताओं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी रैलियों का प्रभाव देखने को मिल रहा है. इस चुनावी महासंग्राम में एनडीए अपनी पूरी ताकत झोंकने के साथ-साथ इंडिया गठबंधन भी अपनी रणनीतियों के तहत मजबूत कदम उठाने की तैयारी में है.
ये जोड़ी है नंबर 1
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने एनडीए को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उनकी लोकप्रियता और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता ने उन्हें जनता के बीच एक ठोस आधार प्रदान किया है. इस चुनावी माहौल में, हेमंत सोरेन का नेतृत्व और विकास की दृष्टि ने उन्हें जनता से एकजुट करने में सफल बनाया है, जिससे एनडीए की चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं.
मंईया सम्मान योजना बनी संजीवनी
एनडीए अपने शासन को मजबूत करने के लिए पूरी मेहनत कर रही है, जबकि इंडिया गठबंधन अपनी ‘मईया सम्मान योजना’ और पिछले पांच वर्षों में किए गए विकास कार्यों के साथ जनता के बीच अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज करवा रहा है. इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने राज्यवासियों को नई सुविधाओं का आश्वासन दिया, जिससे एनडीए की चुनावी रणनीति को एक नई दिशा मिली है.
कल्पना हेमंत के रोड शो में उमड़ा जनसैलाब
इस बीच, हेमंत सोरेन ने रांची में प्रत्याशी महुआ मांझी के समर्थन में जोरदार रोड शो किया, जिसमें उन्होंने अपनी नीतियों और उपलब्धियों को लोगों के सामने रखा. वहीं, कल्पना सोरेन ने कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन को चुनौती दी, जिससे चुनावी माहौल और भी गर्म हो गया है. इस राजनीतिक महासंग्राम में हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना की जोड़ी एनडीए के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है, क्योंकि उनका जनता के साथ जुड़ाव एनडीए के लिए एक मुश्किल स्थिति उत्पन्न कर रहा है.
प्रदेश बीजेपी के नेताओं को केंद्र का सहारा
वहीं एनडीए की रणनीति में प्रमुख नेताओं का सहारा लिया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हैं. दूसरी ओर, हेमंत और कल्पना सोरेन अकेले इन प्रभावशाली नेताओं का सामना कर रहे हैं. इस बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इंडिया गठबंधन अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर एक प्रभावी रणनीति विकसित कर पाएगा या नहीं. राजनीतिक मैदान में यह संघर्ष एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है, और अब परिणाम का इंतजार है.