निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को मनी लांड्रिंग मामले में बड़ी राहत मिली है, क्योंकि ईडी कोर्ट ने उन्हें 28 महीने बाद जमानत दे दी है. उन्हें 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था, और अब जमानत मिलने पर वह दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा हो सकेंगी. साथ ही, उन्हें अपना पासपोर्ट भी कोर्ट में जमा करना होगा, जो जमानत की एक शर्त है.
पूजा सिंघल पर मनी लांड्रिंग का आरोप है. उन्हें मई 2022 में गिरफ्तार किया गया था, और तब से वह जेल में थीं. अब जमानत मिलने से उन्हें काफी राहत मिली है. जमानत के लिए दो-दो लाख रुपये के मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त लगाई गई है.
घोटाले के आरोपों पर कस था शिकंजा
गिरफ्तारी से पहले पूजा सिंघल झारखंड सरकार में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी थीं. ईडी ने मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान उन पर शिकंजा कसा था. आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध धन अर्जित किया. इस मामले में ईडी ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें करोड़ों रुपये नकद बरामद हुए थे.
कौन है पूजा सिंघल ?
पूजा सिंघल झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी हैं. उनके खिलाफ मनरेगा घोटाले में शामिल होने का आरोप है. ईडी ने 6 मई 2022 को उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी और 11 मई 2022 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. निलंबन से पहले वह उद्योग सचिव और खान सचिव का प्रभार संभाल रही थीं. इसके अलावा, वह झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) की चेयरमैन भी रही हैं. भाजपा सरकार में उन्होंने कृषि सचिव के रूप में भी काम किया था. मनरेगा घोटाले के दौरान वह खूंटी जिले की डीसी थीं.
479 के तहत मांगी थी जमानत
पूजा सिंघल ने बीएनएस की धारा 479 के तहत जमानत की याचिका दायर की थी, जो इस शर्त के तहत है कि अगर आरोपी का यह पहला अपराध है और उसने अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा जेल में बिता लिया हो, तो उसे जमानत मिल सकती है. पूजा सिंघल ने जेल से ही इस याचिका को दायर किया था. उनके करियर को मनरेगा घोटाले ने एक बड़ा धक्का दिया है, जो पहले बहुत ही शानदार रहा था.