झारखंड राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक केंद्रीय अनुदान के रूप में 4808.89 करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि राज्य ने केंद्र से विभिन्न योजनाओं और अन्य मदों में कुल 16961 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त होने का अनुमान लगाया था. इस प्रकार, राज्य को केंद्र से मिली राशि अनुमानित राशि का आधा भी नहीं है, जिससे राज्य सरकार चिंतित है. केंद्रीय अनुदान में आई इस कमी को लेकर राज्य सरकार केंद्र से बकाया राशि की मांग करेगी. इस संदर्भ में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे और अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे.
‘झारखंड का उचित हक मिलना चाहिए’
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि केंद्र सरकार को झारखंड को उसका उचित हिस्सा देना चाहिए. केंद्रीय अनुदान में कमी से राज्य की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में दिक्कतें आ रही हैं. झारखंड अपनी खनिज संसाधनों के माध्यम से देश के विकास में योगदान दे रहा है, और ऐसे में केंद्र को राज्य के हितों का ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच इस तरह का भेदभाव संघीय ढांचे के सिद्धांतों के खिलाफ है और झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के साथ ऐसा बर्ताव यहां के नागरिकों के साथ अन्याय है.
राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत चल रही ‘हर घर नल जल योजना’ में भी झारखंड को अपेक्षित राशि नहीं मिली है. राज्य को इस योजना के लिए केवल छह हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि इसकी जरूरत इससे कहीं अधिक है. केंद्रीय अनुदान की कमी के कारण राज्य सरकार इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने में मुश्किलें महसूस कर रही है. इस मामले में वह केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात करेंगे और राज्य की समस्या को उनके समक्ष रखेंगे.