मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों पर बकाया राशि को लेकर सख्त रुख अपनाया है. धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के 53वें स्थापना दिवस के मौके पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के ऊपर 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया है, और इस राशि की मांग को लेकर सरकार ने आधिकारिक चिट्ठी भेजी है. यदि जरूरी हुआ तो राज्य अपने हक की रक्षा के लिए कानूनी कदम भी उठाएगा. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि परिस्थितियां ऐसी बनीं, तो कोयला खदानों को बंद करने का विकल्प भी विचार में लाया जा सकता है.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि झारखंड के साथ हमेशा से भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया है, लेकिन अगर राज्य अपनी ताकत का पूरी तरह से इस्तेमाल करने लगे, तो यह देश के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि झारखंड के लोग जानते हैं कि अधिकार मांगने से नहीं, उसे छीनने से मिलते हैं. वे यह भी कह रहे थे कि अब उनकी पार्टी सरकार में है और वे सशक्त तरीके से अपने अधिकारों की बात उठा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने विपक्षी नेताओं पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब भी केंद्रीय मंत्री झारखंड से दिल्ली लौटते हैं, तो वे यह दावा करते हैं कि कोई बकाया नहीं है. वहीं, राज्य के विपक्षी सांसद इस मुद्दे पर चुप रहते हैं और झारखंड के अधिकारों के मामले में कोई आवाज नहीं उठाते.
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कोयला मंत्री द्वारा झारखंड में जमीन की कीमतों को लेकर की गई टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यदि केंद्र को राज्य में खदानों के लिए जमीन चाहिए, तो उन्हें उसकी उचित कीमत चुकानी होगी.