दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम हैरान करने वाले रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) को सत्ता से बाहर कर दिया है. इस बार अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया जैसे प्रमुख नेता अपनी-अपनी सीटें हार गए, हालांकि, आतिशी ने अपनी सीट बचाने में सफलता पाई. दूसरी ओर, कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही और उसे एक भी सीट नहीं मिली.
चुनाव परिणामों ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है. 2015 और 2020 में शानदार जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी इस बार बुरी तरह पिछड़ गई है. 2020 में जहां उसने 62 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार उसे बहुत कम सीटों से संतोष करना पड़ा.
बीजेपी की बड़ी वापसी के पीछे कई कारण रहे हैं:
केजरीवाल का अत्यधिक आत्मविश्वास: अरविंद केजरीवाल की रणनीति और चुनावी गणना इस बार सही नहीं साबित हुई. उनके नेतृत्व में पार्टी ने मतदाताओं के मूड को सही से समझने में नाकामी पाई.
भ्रष्टाचार के आरोप: केजरीवाल, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, और इन तीनों को जेल भी जाना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप, आम जनता में उनकी छवि पर गहरा असर पड़ा.
कांग्रेस से गठबंधन न होना: कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो सका, जिससे AAP को बड़ा नुकसान हुआ.
मुफ्त योजनाओं का प्रभाव खत्म होना: पहले के चुनावों में मुफ्त बिजली, पानी और अन्य योजनाओं ने बड़ा असर डाला था, लेकिन इस बार मतदाताओं ने इन्हें नकार दिया.
अब, बीजेपी की भारी जीत के बाद सवाल यह उठ रहा है कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इस पद के लिए प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे है. वे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और परिणामों के बाद अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं.