बोकारो में वन विभाग की ज़मीन से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बिहार और झारखंड में एक साथ 15 स्थानों पर छापे मारे. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग के शक में की गई है. ईडी को संदेह है कि वन विभाग की भूमि को अवैध रूप से निजी कंपनियों को सौंपा गया. सबसे ज़्यादा छापेमारी निर्माण कंपनियों और उनसे जुड़े कारोबारियों के परिसरों पर हुई है. इन कंपनियों में विमल अग्रवाल और पुनीत अग्रवाल की राजवीर कंस्ट्रक्शन प्रमुख रूप से शामिल है.
रांची के कई इलाकों में भी दबिश
सूत्रों के मुताबिक, ईडी की टीमें रांची के लालपुर, बरियातू और हटिया जैसे क्षेत्रों में भी तलाशी अभियान चला रही हैं. यह मामला बोकारो स्थित वन विभाग की जमीन से जुड़ा है, जिसकी जांच झारखंड पुलिस की सीआईडी भी कर रही है. यह घोटाला पहली बार 2022 में उजागर हुआ था. आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से वन विभाग की 74.38 एकड़ भूमि एक निजी कंपनी को सौंप दी गई थी.
घोटाले की जड़: फर्जी दस्तावेज और हस्ताक्षर
2025 में बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने इस घोटाले की शिकायत उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त से की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि महेंद्र मिश्रा की केवल 10 डिसमिल ज़मीन के दस्तावेजों में धोखाधड़ी कर उसे 74.38 एकड़ दिखाया गया. आरोप है कि महेंद्र मिश्रा के फर्जी हस्ताक्षर कर ज़मीन हड़प ली गई. जब मिश्रा को इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने इजहार हुसैन, अख्तर हुसैन, रहमत हुसैन, ललन सिंह और शैलेश सिंह के खिलाफ 2024 में अदालत में केस दर्ज कराया. इसके अलावा एक एफआईआर भी बोकारो के सेक्टर 12 थाना में दर्ज कराई गई.