विश्वकर्मा पूजा हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. भगवान विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता और देवताओं का वास्तुकार माना जाता है इसलिये विशेषतः इंजीनियर,कारीगर, कारखाने और औद्योगिक क्षेत्रों के जुड़े लोग विशेष रूप से इस पूजा को करते हैं. वे अपने मशीनों को सुचारू रूप से चलाने और उद्योग की सफलता के लिये प्रार्थना करते हैं.
राजधानी में पूजा को लेकर रौनक
रांची में भी पूजा को लेकर माहौल भक्तिमय हो गया है. लोग पूरी आस्था के साथ विश्वकर्मा भगवान की पूजा अर्चना में जुटे हैं. जगह-जगह पर भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई है. पंडालों का निर्माण भी किया गया है. लोगों में हर्ष और उल्लास देखा जा रहा है.
विश्वकर्मा पूजा की पौराणिक मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि आज ही के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था इसलिये इसे विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है. विष्णुपुराण के अनुसार विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार माने जाते हैं. सृष्टि के निर्माण में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होनें ही भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिव का त्रिशूल और कुबेर के पुष्पक विमान के साथ-साथ कई अस्त्र-शस्त्र और यंत्रों का निर्माण किया है. इतना ही नहीं स्वर्ग, यमलोक, अलकापुरी, लंका जैसे नगरों की भी स्थापना का श्रेय भी विश्वकर्मा को ही दिया जाता है. सृष्टि के निर्माण में उनके इसी योगदान को याद करते हुए उनकी जयंती के अवसर पर पूजा आराधना की परंपरा चली आ रही है.