कोडरमा
सैनिक स्कूल तिलैया शिक्षा के क्षेत्र में किसी परिचय का मोहताज नहीं है. लगभग 6 दशक का गौरवशाली सफर बेहद सफलता के साथ तय किया है. 61 वर्ष पूरे होने पर बेहद धूमधाम के साथ स्थापना दिवस मनाया गया. इस मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए साथ ही स्कूल टीम के कैप्टन और उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया.
पूर्ववर्ती छात्रों ने पुरानी यादें की ताजा
इस कार्यक्रम में स्थापना काल से लेकर आजतक के कैडेट शामिल हुए. सभी बैच के लोगों का एक साथ जमा होना बेहद सुखद, गर्व और भावुकता का क्षण था. उन्होनें अपने पुराने दिनों को याद किया और स्कूल के प्रति भावनाओं और अनुभवों को साझा किया. अपने जीवन में सफलता का श्रेय भी स्कूल को दिया. स्कूल के पहले बैच के छात्र डीडी लहरी ने बताया कि आज पढ़ने के तरीके में बदलाव हुए हैं साथ ही व्यवसायिक शिक्षा की तरफ ज्यादा फोकस किया जा रहा है.
स्कूल के इतिहास की कहानी
सैनिक स्कूल तिलैया का एक बेहद गौरवशाली और समृद्ध इतिहास रहा है. भारत-चीन युद्ध के बाद देश में सैनिक स्कूल की परिकल्पना तैयार की गई थी. 16 सितंबर 1963 को 12 सैनिक स्कूलों की बुनियाद रखी गयी. उस वक्त पूरे देश भर में करीब 33 स्कूलों की शृंखला थी. इस स्कूल की नींव डालने में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय, केंद्रीय रक्षामंत्री कृष्ण मेनन और संस्थापक कर्नल लेग स्मिथ का बेहद महत्वपूर्ण योगदान था. प्रकृति के सुरम्य वातावरण में बने इस स्कूल में छात्रों की शिक्षा और व्यक्तित्व के निर्माण की बहुत ही मेहनत के साथ हरसम्भव कोशिश की जाती है जिसका परिणाम है कि इस स्कूल के कैडेट्स पूरे देश भर में अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं.
हर क्षेत्र में यहां के छात्रों का बोलबाला
स्कूल से अबतक सफल हुए लगभग 900 कैडेट राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में गए हैं जबकि कुछ छात्र भारतीय सशस्त्र बलों में लेफ्टिनेंट जनरल और समकक्ष रैंक तक की उपलब्धि पा चुके हैं. इतना ही नहीं इंजीनियरिंग, शिक्षण, चिकित्सा, फ़िल्म उद्योग में भी यहां के छात्र ने अपनी सफलता की मौजूदगी दर्ज कराई है. भले स्कूल के बुनियादी ढांचे में बदलाव हुए हैं पर आज भी सैनिक स्कूल को शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.