गांधी जयंती के अवसर पर पटना में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक दल की औपचारिक घोषणा कर दी है. पिछले दो वर्षों से राज्य में जन सुराज अभियान के तहत पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर, जिन्हें आमतौर पर पीके (PK) के नाम से जाना जाता है, ने अब अपने संगठन को एक राजनीतिक पार्टी में परिवर्तित कर दिया है. इस नई पार्टी का नाम “जन सुराज पार्टी” रखा गया है.
अध्यक्ष की जिम्मेवारी भारती को
जन सुराज पार्टी के पहले अध्यक्ष मनोज भारती हैं, जो दलित समाज से संबंध रखते हैं. वे मधुबनी जिले के निवासी हैं और अपनी शिक्षा जमुई के सरकारी स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने आईआईटी (IIT)से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)की डिग्री हासिल की और यूपीएससी (UPSC)परीक्षा में सफलता प्राप्त की. भारतीय विदेश सेवा के एक अधिकारी के रूप में वे चार देशों में राजदूत रह चुके हैं. प्रशांत किशोर ने इस अवसर पर बताया कि मनोज भारती उनकी तुलना में अधिक सक्षम हैं.
बिहार में शराबबंदी होगी ख़त्म !
प्रशांत किशोर ने यह भी घोषणा की कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वे एक घंटे के भीतर शराबबंदी को समाप्त कर देंगे. उन्होंने यह तर्क दिया कि शराबबंदी और शिक्षा का गहरा संबंध है. बिहार में विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए 5 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. शराबबंदी हटाने से मिलने वाले टैक्स को शिक्षा में निवेश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि हर साल शराबबंदी से बिहार को 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. यदि इस राशि का सही उपयोग किया जाए, तो बिहार की शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन संभव है.
कौन है PK ?
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तो इस मौके पर एक नाम बहुत चर्चा में आया, और वह नाम था प्रशांत किशोर. उन्होंने मोदी के चुनावी प्रचार का अभियान तैयार किया था. प्रशांत किशोर का जन्म बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ. उनके पिता, श्रीकांत पांडे, एक डॉक्टर थे. इस कारण से, उनके पिता की पोस्टिंग के स्थानों पर ही उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा का अनुभव प्राप्त किया.कुछ समय बाद, उन्होंने पटना साइंस कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन फिर हिंदू कॉलेज चले गए. स्वास्थ्य कारणों से उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी. अंततः उन्होंने लखनऊ से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. इसके बाद, हैदराबाद होते हुए वे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और फिर भारत लौट आए. प्रशांत ने बताया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई में कई बार ब्रेक लिया—बारहवीं कक्षा के बाद उन्होंने तीन साल का और ग्रेजुएशन के बाद दो साल का ब्रेक लिया. अंततः उन्हें संयुक्त राष्ट्र में नौकरी मिल गई.