दिल्ली विश्वविद्यालय DU के 25 साल के विकास योजना को आखिरकार मंजूरी मिल गई है. गुरुवार को हुई अकादमिक काउंसिल (एसी) की बैठक में इस पर मुहर लगी. Strategic plan, जिसे 2024-2047 के लिए तैयार किया गया है, पिछले साल दिसंबर में एसी के सामने पेश की गई थी, लेकिन साहित्यिक चोरी के आरोपों के कारण इसे वापस भेज दिया गया था. अब, 10 महीने के इंतजार के बाद, इसे फिर से पारित किया गया है.
DU के विकास योजना पर आपत्ति
एसी की बैठक में डीयू के इंस्टिट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान (आईडीपी) को भी चर्चा के लिए रखा गया, लेकिन कई सदस्यों ने इस पर असहमति जताई. एसी सदस्य मिथुराज धूसिया ने कहा कि आईडीपी प्रस्ताव पूरी तरह से शिक्षकों, छात्रों और शैक्षणिक विकास के खिलाफ है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें सरकारी फंडिंग से दूर जाकर विश्वविद्यालय को आत्म-फंडिंग मॉडल पर जाने की सिफारिश की गई है, साथ ही डीयू प्रशासन में लेटरल एंट्री को बढ़ावा दिया जा रहा है.
Strategic plan की महत्ता
हालांकि, Strategic plan को मंजूरी मिल गई. वाइस चांसलर प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि यह योजना विकसित भारत में डीयू की भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है. उनका लक्ष्य है कि डीयू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बनाया जाए, जो शिक्षण, शोध और outreach में उत्कृष्टता के लिए जाना जाए.
एसी सदस्यों ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल पर विश्वविद्यालय के नियमों का पालन न करने का मुद्दा उठाया. इस पर कुलपति ने संवाद के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसमें डॉ. हरेन्द्र नाथ तिवारी, डॉ. आलोक पांडेय और डॉ. माया जॉन शामिल हैं.