झारखंड के कोयलांचल क्षेत्र का राजधनवार इस बार चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण और चर्चित सीट बन चुकी है. इस बार यहां से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनावी मैदान में हैं. बाबूलाल आदिवासी नेता होने के बावजूद सामान्य सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि वह यहीं के निवासी हैं और यहीं पले-बढ़े हैं, इस कारण यह उनकी मातृभूमि है.
अपने पराये सबसे घिरे बाबूलाल
राजधनवार में इस बार मरांडी को घेरने के लिए विपक्ष ने एक मजबूत रणनीति बनाई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने यहां अपने उम्मीदवार निजामुद्दीन अंसारी को मैदान में उतारा है. इसके साथ ही, इंडिया गठबंधन के तहत सीपीएमएल (Communist Party of India (Marxist-Leninist)) ने भी अपने उम्मीदवार राजकुमार यादव को पेश किया है. इसके अलावा, बीजेपी के बागी उम्मीदवार निरंजन राय भी चुनावी जंग में शामिल हैं. इस प्रकार, बाबूलाल मरांडी को अपनी ही ज़मीन पर चौतरफा चुनौती मिल रही है. हालांकि मुख्य मुकाबला मरांडी और अंसारी के बीच है, लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि असली चुनौती मरांडी को राजकुमार यादव से मिल रही है. कई स्थानीय निवासी यह भी कहते हैं कि यदि सीपीएमएल अकेले उम्मीदवार उतारती तो राजकुमार यादव मरांडी को हराने में सक्षम होते.
‘बाबूलाल ने खो दी है विश्वसनीयता’
राजकुमार यादव ने 2014 में मरांडी को चुनाव में हराया था. उनका कहना है कि बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी छोड़कर अपनी पार्टी बनाई और फिर अपने स्वार्थ के लिए उस पार्टी का बीजेपी में विलय कर लिया. यादव का कहना है कि यह जनता के साथ विश्वासघात था, क्योंकि जिन लोगों ने उन्हें समर्थन दिया था, उन्होंने अपनी पार्टी का अस्तित्व केवल अपने स्वार्थ के लिए समाप्त कर दिया. यादव का आरोप है कि इस कदम से मरांडी ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है.
राजधनवार सियासी समीकरण
कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजधनवार में यादव और अंसारी के बीच मुकाबला होने से बीजेपी के पक्ष में कुछ राहत हो सकती है, क्योंकि वोटों का बंटवारा हो जाएगा और मरांडी को लाभ मिल सकता है. वहीं, बीजेपी के बागी उम्मीदवार निरंजन राय के मैदान में उतरने से मरांडी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि राय भूमिहार समुदाय के वोटों में सेंध लगा सकते हैं. राय के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उनका चुनावी मैदान में उतरना बीजेपी और मरांडी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, ताकि भूमिहार वोटों का बंटवारा रोका जा सके. राजधनवार की सीट पर कुल साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 85,000 मुस्लिम, 50,000 यादव, 30,000 भूमिहार, 45,000 दलित और 22,000 आदिवासी वोट हैं. यह सियासी समीकरण इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहे हैं.