रांची/दिल्ली
एक महत्पूर्ण मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर अपनी सख्त टिप्पणी की है और इस पर दिशानिर्देश तय करने का सुझाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की संपत्ति को केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर अपराध का आरोप है. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि किसी का घर केवल आरोप के आधार पर नहीं गिराया जा सकता. विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की थी. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या कोई किसी का भी घर सिर्फ इसलिए तबाह कर सकता है, क्योंकि वह आरोपी है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरोपी दोषी भी पाया जाता है तो उसका घर बिना तय कानून के तबाह नहीं किया जा सकता.
देश संविधान के तहत चलेगा…..
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने को कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सराहनीय है. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधते हुए कहा कि देश संविधान के तहत चलेगा, न कि सत्ता के दवाब से.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बीजेपी की असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण ‘बुलडोजर नीति’ पर उचित है. बीजेपी का संविधान-विरोधी चेहरा अब स्पष्ट हो चुका है, जो मानवता और न्याय को कुचलने की कोशिश करता है.”
उत्तर प्रदेश से हुई बुलडोजर न्याय की शुरुआत
2017 के बाद से, बुलडोजर, एक औद्योगिक मशीन, भारतीय राजनीति में, खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक राजनीतिक उपकरण और प्रतीक बन गई है. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए एक आदेश की बाद हुई, जिसमे आरोपी के घर को बुलडोज़र से गिराया गया था. भारत भर में अवैध निर्माणों को हटाने के लिए बुलडोजर का नियमित रूप से उपयोग किया जाता है, इस मामले में बुलडोजर का उपयोग कथित अपराधियों, सांप्रदायिक हिंसा के दंगाइयों और आरोपी अपराधियों के खिलाफ भो होना शुरू हुआ जिसे “बुलडोजर न्याय” के नाम से जाना जाने लगा.
विकास दुबे जैसे कई अपराधियों, साथ ही राजनेता-बाहुबलियों और गैंगस्टर मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की संपत्ति को बुलडोजर का उपयोग करके ध्वस्त कर दिया गया था. जिसके बाद बीजेपी शासित राज्यों में “बुलडोजर न्याय” खूब चला.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दाखिल की याचिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने तरीके से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है. याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में हाल की गई बुलडोजर कार्रवाइयों का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि इन कार्रवाइयों में विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया है.