झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 27 फरवरी को CAG (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की विस्तृत रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की गई. इस रिपोर्ट में कोरोना काल के दौरान राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर विस्तार से जानकारी दी गई है.
भाजपा की युवा महिला विधायक पूर्णिमा दास, पूर्व मंत्री सीपी सिंह, सत्येंद्रनाथ तिवारी समेत कई अन्य विधायकों ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट ने राज्य की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर दिया है. जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा विधायक पूर्णिमा दास ने कहा कि राज्य में डॉक्टर्स, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. उन्होंने कहा कि सिर्फ 1400 डॉक्टरों के सहारे राज्य की जनता की सेहत का ख्याल रखा जा रहा है, जबकि दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं, और कई पद खाली पड़े हैं. उन्होंने यह भी कहा कि युवा रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने CAG रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य में हर सेक्टर में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष को हमेशा सत्ता पक्ष और मुख्यमंत्री द्वारा खदेड़ा जाता है.
सत्तापक्ष के अधिकांश मंत्री और विधायक रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से पहले इसे पढ़ने की बात कह रहे हैं. मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने जितना खर्च किया, उतना ही आवश्यक था और किसी को भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी गई.
क्या है CAG रिपोर्ट
CAG की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मार्च 2020 से 2022 तक कोविड-19 प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने झारखंड को 485.54 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि राज्य सरकार को 272.8 करोड़ रुपये अपने खजाने से खर्च करने थे. हालांकि, झारखंड सरकार ने इस मद में कुल 756.42 करोड़ रुपये में से केवल 145.10 करोड़ रुपये ही खर्च किए. रिपोर्ट में अस्पतालों की ओपीडी, आईसीयू, मातृत्व आईपीडी में दवाइयों और अन्य मूलभूत जरूरतों की कमी का भी उल्लेख किया गया है, जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार पर जोरदार हमला बोला है.