झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार पर 1.36 लाख करोड़ रुपये की कोयला रॉयल्टी बकाया होने का आरोप लगाया है और इसे राज्य का कानूनी अधिकार बताया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बकाया राशि के कारण राज्य के विकास कार्यों में आ रही रुकावटों पर चिंता जताई. उन्होंने केंद्र सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य से कोयला आपूर्ति को रोकने की चेतावनी भी दी गई है. झारखंड सरकार ने राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के सचिव को इस मामले का नोडल अधिकारी नियुक्त किया है, जिनकी जिम्मेदारी कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों से बकाया वसूलने की होगी. राज्य सरकार कानूनी विशेषज्ञों और महाधिवक्ता की मदद से आगे की रणनीति तैयार कर रही है.
केंद्र नहीं चाहती है झारखंड का हो विकास : सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले को झारखंड के लोगों के अधिकारों से जुड़ा हुआ बताया और कहा, “यह झारखंड का वैधानिक अधिकार है, और बकाया राशि न मिलने से राज्य के विकास कार्यों पर गंभीर असर पड़ रहा है.” उन्होंने केंद्र सरकार पर राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया और इसे राज्य की आर्थिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप बताया.
‘बंद कर दी जायेगी कोयले की ढुलाई’
सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की बेंच ने हाल ही में झारखंड के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य को खनिज और रॉयल्टी अधिकारों की वसूली का हकदार माना है. इस फैसले के बाद झारखंड सरकार ने इस मुद्दे को और अधिक ताकत के साथ उठाने का निर्णय लिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों के भीतर रॉयल्टी का भुगतान नहीं हुआ, तो राज्य से कोयला ढुलाई रोक दी जाएगी. झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “राजमहल से राजधनवार तक कोयले की ढुलाई बंद कर दी जाएगी.”
केंद्र ने कहा नहीं है कोई बकाया
केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री ने झारखंड पर कोई बकाया न होने का दावा किया है, लेकिन झारखंड सरकार और झामुमो ने इस बयान को खारिज करते हुए इसे राज्य के अधिकारों की अनदेखी करार दिया है. इस मामले का झारखंड के लिए केवल आर्थिक महत्व नहीं है, बल्कि यह राज्य के विकास और आत्मनिर्भरता से भी जुड़ा हुआ है. राज्य सरकार का कहना है कि इस बकाया राशि के अभाव में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. फिलहाल, राज्य सरकार ने इस मामले को कानूनी रूप से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है और देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में बढ़ता है.