रांची
झारखंड के साइबर अपराधी अब अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों के साथ मिलकर ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं. इन अपराधियों ने दुबई, कंबोडिया, थाईलैंड जैसे विभिन्न देशों का उपयोग कर रहे हैं, सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये अपराधी भारतीय मोबाइल नेटवर्क का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
भारतीय सिमकार्ड के जरिए ठगी
झारखंड के साइबर अपराधी अब अंतरराष्ट्रीय साइबर क्रिमिनल्स के संपर्क में हैं, और यह जानकारी सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आई है. सीआईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि विदेश से ठगी करने वाले साइबर ठग भारतीय सिमकार्ड का उपयोग कर भारत के साथ-साथ अन्य देशों के लोगों को भी ठग रहे हैं. झारखंड पुलिस के डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार, इन अपराधियों ने भारतीय सिमकार्ड और मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया है.
इंडियन सिमकार्ड इस्तेमाल की वजह
हाल के दिनों में साइबर अपराधियों के खिलाफ देशभर में सख्त कार्रवाई की गई है. इसके बाद, इन अपराधियों ने दुबई, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों को अपनी ठगी के लिए नया ठिकाना बना लिया है. इन अपराधियों ने भारतीय सिमकार्ड के माध्यम से ठगी को अंजाम देने के लिए मानव तस्करी का सहारा लिया है. झारखंड के बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर उन्हें कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों में भेजा जाता है, जहां उन्हें साइबर ठगी का काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.
मानव तस्करी और ठगी
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि दो साइबर एजेंटों, वसीम खान और यमुना कुमार राणा को गिरफ्तार किया गया है, जो झारखंड से युवाओं की तस्करी कर उन्हें विदेश में ठगी के लिए भेजते थे. वसीम खान गिरिडीह का और यमुना कुमार राणा कोडरमा का निवासी है. इनके पास से कई आपत्तिजनक सामग्री और ठगी से जुड़े दस्तावेज मिले हैं. हालांकि, अभी भी इस रैकेट के कई एजेंट सक्रिय हैं और सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है.
प्रतिबिंब ऐप की भूमिका
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय साइबर रैकेट को समाप्त करने के लिए प्रतिबिंब ऐप को और प्रभावी बनाया जा रहा है. यह ऐप भारतीय मोबाइल नंबरों से विदेशी ठगों की लोकेशन ट्रैक करेगा. इसके लिए झारखंड पुलिस की तकनीकी टीम काम कर रही है. अब तक, नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के आधार पर झारखंड में साइबर अपराधियों की लोकेशन ट्रैक की जाती रही है. प्रतिबिंब ऐप की क्षमता को बढ़ाकर विदेश में बैठे साइबर अपराधियों की लोकेशन ट्रैक की जाएगी, जो भारतीय सिमकार्ड का उपयोग कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.