झारखंड में नकली दवाओं का कारोबार बहुत तेजी से फल फूल रहा है. बड़ी-बड़ी कम्पनियों की डुप्लीकेट दवा मार्केट में बिक रही है जिससे डॉक्टर एवं मरीज दोनों परेशान हैं. नकली दवाओं से सेवन से मरीज ठीक नहीं हो रहे हैं जिससे डॉक्टर को भी इलाज करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नकली दवा के कई गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिनपर प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.
सूबे में जांच के लिये औषधि निरीक्षिकों की कमी
राज्य में औषधि निरीक्षकों की बहुत कमी है. यहां कुल 42 निरीक्षिकों की जरूरत है लेकिन फिलहाल 12 ही कार्यरत हैं. काम का दबाव अधिक होने के कारण दवाओं की समुचित जांच नहीं हो पाती है और कंपनियों से खुदरा दुकानों तक दवाइयां आसानी से पहुंच जा रही है.
राज्य औषधि निदेशालय ने दिए जांच के निर्देश
राज्य औषधि निदेशालय ने सभी औषधि निरीक्षकों को नकली दवाओं का पता लगाकर उन्हें जब्त करने का सख्त निर्देश दिया है. ‘ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 के तहत उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वहीं सरकार के निर्देश पर कंपनी के द्वारा क्यूआर कोड जारी किया जा रहा है. ये कोड दवाओं पर लगा रहेगा जिसे स्कैन करते ही दवाओं का सारा ब्यौरा मिल जाएगा.