राजधानी रांची में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत निर्मित 11 आलीशान सरकारी बंगले अब पूरी तरह से मंत्रियों के लिए तैयार हो चुके हैं. इन बंगलों का निर्माण 108 करोड़ रुपये की लागत से 11 एकड़ में किया गया है और इनका आवंटन राज्य के 11 मंत्रियों को कर दिया गया है. भवन निर्माण विभाग ने इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी मंत्री बिना अनुमति के इन बंगलों में कोई बदलाव या नया निर्माण नहीं कर सकेगा.
किस मंत्री को मिला कौन सा बंगला?
- वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर – बंगला संख्या 3
- राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरूआ – बंगला संख्या 8
- अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा – बंगला संख्या 7
- श्रम मंत्री संजय प्रसाद यादव – बंगला संख्या 11
- स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन – बंगला संख्या 10
- स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी – बंगला संख्या 4
- जल संसाधन मंत्री हफीजुल हसन – बंगला संख्या 6
- ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह – बंगला संख्या 9
- पेयजल और स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद – बंगला संख्या 5
- नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार – बंगला संख्या 1
- कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की – बंगला संख्या 2
बंगलों की विशेषताएँ
स्मार्ट सिटी में बने ये सरकारी बंगले किसी फाइव-स्टार होटल से कम नहीं हैं. सफेद रंग के दो मंजिला बंगलों में आधुनिक सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है. ग्राउंड फ्लोर में मास्टर बेडरूम के साथ दो अतिरिक्त बेडरूम, ड्राइंग रूम, पूजा कक्ष, किचन, अतिथि कक्ष और नौकरों के लिए अलग क्वार्टर हैं. पहली मंजिल में तीन बच्चों के कमरे हैं, जिससे ये बंगलें परिवारों के लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं. बंगलों के चारों ओर हरियाली, लॉन, क्लब हाउस और अत्याधुनिक मनोरंजन सुविधाएं हैं. सुरक्षा के लिए सेंसर-लॉक दरवाजे, 24×7 सीसीटीवी निगरानी और गार्ड रूम भी लगाए गए हैं. इंटीरियर्स में संगमरमर की फर्श, इटालियन फर्नीचर और विदेशी फूलों से सजे बागीचे बंगले की भव्यता को और बढ़ाते हैं.
क्या यह शानो-शौकत का उदाहरण बनकर रह जाएगा?
सरकार का कहना है कि इन बंगलों से मंत्रियों को बेहतर कार्यस्थल मिलेगा, जिससे वे जनता की सेवा में अधिक प्रभावी हो सकेंगे. हालांकि, इस पर जनता में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम जनहित में है या केवल सत्ता में बैठे लोगों के लिए एक और विशेषाधिकार है. अब यह देखना होगा कि ये आलीशान बंगले मंत्रियों के कार्यकाल में जनता की समस्याओं के समाधान में सहायक साबित होते हैं या फिर ये केवल स्विमिंग पूल और लक्जरी कमरों तक सीमित रह जाएंगे. क्या स्मार्ट सिटी परियोजना राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी, या यह केवल एक और सरकारी शानो-शौकत का उदाहरण बनकर रह जाएगी?