रांची: झारखंड में भाजपा से नेताओं के निकलने का सिलसिला जारी है, जिसमें कई प्रमुख चेहरे टिकट न मिलने के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) में शामिल हो रहे हैं. हाल ही में केदार हाजरा, उमाकांत रजक के बाद डॉक्टर लुईस मरांडी, कुणाल सारंगी और गणेश महली जैसे प्रमुख नेताओं ने भाजपा छोड़कर JMM का दामन थामा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन नेताओं का स्वागत करते हुए उन्हें पार्टी का पट्टा पहनाया.
डॉ लुईस मरांडी के लेटर से भाजपा में हडकंप
लुईस मरांडी ने बीजेपी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने जो पत्र लिखा है उससे भाजपा में हडकंप मच गया है. जो लोग भाजपा छोड़ चुके है वो तो पत्र के कंटेंट को एक दम सही बता रहे है. लेकिन जो पार्टी में अब भी है वो भी दबी जुबान कही न कही पत्र में लगाये गए आरोप को बिलकुल सही बता रहे है.
कौन कौन नेता ने तोड़ा भाजपा से नाता ?
सभी नेता टिकट कटने से नाराज थे. डॉक्टर लुईस मरांडी, जो संथाल परगना की एक प्रमुख आदिवासी नेत्री हैं और रघुवर दास सरकार में मंत्री रह चुकी हैं, ने दुमका से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी. उनका टिकट कटने के बाद वे भाजपा से इस्तीफा देकर कुछ ही घंटों में JMM में शामिल हो गईं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात के बाद उन्हें JMM का सदस्य बनाया गया है, और अब वे विधानसभा चुनाव में JMM के उम्मीदवार के रूप में दुमका की जामा विधानसभा सीट से उतरने की तैयारी कर रही हैं.
कुणाल सारंगी, जो बहरागोड़ा से पूर्व विधायक रह चुके हैं, ने 2019 में भाजपा में शामिल होकर समीर मोहंती से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़ दी थी. अब वे एक बार फिर JMM में लौट रहे हैं, जहां उनकी युवा पहचान और समर्थकों का समूह उनकी ताकत साबित हो सकता है. कुणाल ने 2014 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन के करीबी माने जाते थे.
गणेश महली भाजपा के टिकट पर चंपई सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार, उन्हें JMM से टिकट मिलने की संभावना है, और वे चंपई सोरेन के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. भाजपा में रहते हुए उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है, और चंपई सोरेन से उनकी टक्कर काफी दिलचस्प साबित हो सकती है.
पढ़ें डॉ लुईस का त्याग पत्र