भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच साल बाद रेपो रेट में 0.25% की कमी करते हुए इसे 6.25% कर दिया है. इस कदम से होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के लोन की ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे ईएमआई में भी गिरावट होगी. इससे पहले मई 2020 में RBI ने रेपो रेट को 4.0% किया था, लेकिन मई 2022 से इसमें लगातार वृद्धि देखी गई और फरवरी 2023 तक यह 6.5% पर स्थिर हो गया था। अब दो साल बाद RBI ने इसे घटाने का निर्णय लिया है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सकेगी.
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक में सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से रेपो रेट घटाने का निर्णय लिया. इसके साथ ही, RBI ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए GDP ग्रोथ रेट का अनुमान 6.7% जताया है, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में यह 6.4% रहने का अनुमान है। खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) अगले वित्तीय वर्ष में 4.2% रहने का अनुमान है, जबकि इस वर्ष के अंत तक यह 4.8% के आसपास रह सकती है.
रेपो रेट क्या होता है और इसका असर कैसे पड़ता है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज प्रदान करता है. जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वे अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं. इसके परिणामस्वरूप, लोन लेना सस्ता हो जाता है, जिससे खासकर मध्यम वर्ग को राहत मिलती है. रेपो रेट में कमी से बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है. इस प्रकार, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती है.