रांची विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति, डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, विश्वविद्यालय के शैक्षिक और प्रशासनिक सुधार में कम और राजनीति में अधिक रुचि दिखा रहे हैं. इसका प्रमाण यह है कि विश्वविद्यालय को नैक टीम से B++ ग्रेड मिला है. राज्य के छात्रों के लिए यह काफी शर्मनाक है कि राज्य का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय B++ ग्रेड प्राप्त कर चुका है, जबकि विनोबा भावे विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय जैसे नए विश्वविद्यालयों को भी यही ग्रेड मिला है. यह महत्वपूर्ण है कि रांची विश्वविद्यालय राजधानी के केंद्र में स्थित है और राज्य सरकार इसके संवर्धन और विकास में सबसे अधिक राशि खर्च करती है. अन्य राज्य विश्वविद्यालयों की तुलना में रांची विश्वविद्यालय में आधारभूत सुविधाएं ज्यादा हैं, फिर भी B++ ग्रेड मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. डॉ. सिन्हा के कार्यकाल में विश्वविद्यालय पूरी तरह से विफल हो चुका है. NSUI के राज्य उपाध्यक्ष अमन अहमद ने ये बाते कही है.
NSUI की मांगें:
- कुलपति महोदय को अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को सार्वजनिक करना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि जब सरकार ने सभी सुविधाएं प्रदान की हैं, तो क्यों यहां के छात्र अच्छे अंकों से पास नहीं हो रहे हैं?
- क्यों नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में रांची विश्वविद्यालय के छात्र पीछे रह गए?
- क्यों रांची विश्वविद्यालय को NAAC से A+ या A++ ग्रेड नहीं मिला?
- 2017 में हुए NAAC निरीक्षण में NAAC सदस्यों ने कहा था कि झारखंड में सभी विश्वविद्यालयों में रांची विश्वविद्यालय का EDPC सबसे अच्छा था और यहां की व्यवस्था भी उत्कृष्ट थी. तो फिर क्यों EDPC को बंद कर दिया गया, खंडहर बना दिया गया है और वहां के कर्मचारियों को महीनों से मुख्यालय में रखा गया है, जबकि कुलपति शिक्षकों की कमी का रोना रो रहे हैं?