झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में सीता सोरेन की संभावित वापसी पर चर्चा तेज हो गई है. हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पैतृक गांव नेमरा में आयोजित बाहा पूजा में उनकी उपस्थिति ने इस कयास को और मजबूत किया है. बीजेपी में शामिल होने के बाद से वह लगभग एक साल तक सोरेन परिवार से दूर रही थीं, हालांकि इस दौरान वह शिबू सोरेन से मिलती रही हैं. लेकिन पारिवारिक कार्यक्रमों से बचती रहीं और नेमरा भी नहीं आईं. अब इस घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है.
धनबाद में हेमंत सोरेन की तारीफ
बीजेपी में शामिल होने के बाद, सीता सोरेन ने लगातार हेमंत सोरेन और जेएमएम पर आलोचनात्मक रुख अपनाया था, लेकिन हाल ही में धनबाद में एक शादी समारोह में उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार की सराहना की. यह उनके रुख में आए बदलाव को दर्शाता है, जो पिछले कुछ महीनों में पहली बार देखा गया.
मुख्यमंत्री की चचेरी बहन ने जताए संकेत
15 मार्च को नेमरा में आयोजित बाहा पूजा में सीता सोरेन की उपस्थिति ने उनके जेएमएम में वापसी की अटकलों को और तेज कर दिया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चचेरी बहन और जिला परिषद सदस्य रेखा सोरेन ने संकेत दिए कि अब सीता सोरेन का परिवार से वैचारिक मतभेद खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि सीता जल्द ही बीजेपी छोड़कर जेएमएम में शामिल हो सकती हैं और पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगी. यह बयान सीता सोरेन के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े करता है.
सीता सोरेन की वापसी से पार्टी को मिल सकती है मजबूती
यदि सीता सोरेन सचमुच जेएमएम में लौटती हैं, तो यह पार्टी के लिए एक मजबूती का संकेत हो सकता है. खासकर महिला वोट बैंक पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे जेएमएम को लाभ होगा, जबकि बीजेपी के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है. आगामी दिनों में सीता सोरेन के फैसले पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि उनका निर्णय झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है.