झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने घोषणा की है कि राज्य से नक्सलवाद को अगले तीन महीनों में पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. इसके लिए एक विशेष रणनीति तैयार की जा रही है. यह बयान उन्होंने चाईबासा में आयोजित एक अहम बैठक के बाद दिया, जिसमें पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने नक्सल विरोधी अभियानों की समीक्षा की.
कोल्हान क्षेत्र में नक्सलवाद की समस्या
पश्चिम सिंहभूम जिले को झारखंड का आखिरी इलाका माना जाता है, जहां नक्सलवाद की समस्या मौजूद है. इस जिले में अब नक्सलवाद का प्रभाव केवल 5 प्रतिशत रह गया है. बैठक के दौरान, कोल्हान और सारंडा क्षेत्रों में नक्सल विरोधी अभियान को और तेज करने की योजना बनाई गई. डीजीपी ने कहा कि सरकार की सरेंडर नीति का इस्तेमाल करके नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जाएगा. यदि यह नीति कामयाब नहीं होती, तो सुरक्षा बल पूरी तरह से निर्णायक कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं. नक्सली नेताओं को पकड़ने या खत्म करने के लिए जंगलों में व्यापक अभियान चलाए जाएंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी निर्देश दिया है कि उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में शीघ्र शांति स्थापित की जाए. इसके तहत राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने चाईबासा में गहन चर्चा की.
आर-पार की लड़ाई की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, यदि नक्सलियों ने सरेंडर नहीं किया, तो सुरक्षा बल उनके खिलाफ पूरी ताकत से निर्णायक कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं. डीजीपी ने बताया कि यह अभियान नक्सलवाद की जड़ों को खत्म करने में महत्वपूर्ण साबित होगा.