झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में हुए करोड़ों रुपये के गबन और घोटाले के मुद्दे पर बुधवार को विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार को घेरा. इस दौरान विपक्ष के विधायकों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विधायकों ने इस पर विरोध जताया और लगभग आधे घंटे तक सदन में हंगामा हुआ.
कांग्रेस विधायक दल के नेता ने उठाया मामला
प्रश्न काल के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने स्वर्णरेखा प्रमंडल में फर्जी खातों के जरिए करोड़ों रुपये की निकासी का मामला उठाया. उन्होंने वित्त विभाग की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कई अभियंता इस गड़बड़ी में शामिल हैं, लेकिन अब तक केवल रोकड़पाल संतोष कुमार के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
प्रभारी मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने आश्वासन दिया कि विभागीय जांच की जाएगी और सात दिनों के भीतर सदन को इस पर रिपोर्ट दी जाएगी. हालांकि, इस जवाब पर झामुमो के स्टीफन मरांडी और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव ने असंतोष व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मामले की जांच करने की बजाय इसे टालने की कोशिश की जा रही है. स्टीफन मरांडी ने यह भी कहा कि कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि रामेश्वर उरांव ने आरोप लगाया कि सरकार कार्रवाई को लटका रही है.
झामुमो विधायक मथुरा महतो और हेमलाल मुर्मू ने भी कहा कि विभागीय जांच सिर्फ लीपापोती करने जैसा काम करती है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब वित्त विभाग की रिपोर्ट में कई अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है, तो केवल रोकड़पाल संतोष कुमार के खिलाफ कार्रवाई क्यों की गई? उन्होंने मांग की कि मुख्य अभियंता प्रभात कुमार सिंह और कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर समेत अन्य अभियंताओं के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जाए.
इस मुद्दे पर भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर सत्ता पक्ष के विधायकों को ही दोषियों पर कार्रवाई कराने में इतना संघर्ष करना पड़ रहा है, तो विपक्ष के मामलों पर सरकार का क्या रुख होगा, यह खुद ही समझा जा सकता है. इस पर प्रदीप यादव ने चेतावनी दी कि यदि मंत्री ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया, तो वह सदन में धरना देंगे. आधे घंटे तक चले हंगामे के बाद मंत्री ने फिर से आश्वासन दिया कि सात दिनों के भीतर कार्रवाई की जाएगी.