चतरा : 1 लाख छत्तीस हजार करोड़ रुपये बकाया केंद्र सरकार झारखंड राज्य का रखे हुए है. केंद्र पर काफी दबाव डालने और कई बार पत्र व्यवहार के बाद बमुश्किल कभी एक करोड़ या 2 करोड़ भेजा जाता है. खान-खनिज की रॉयल्टी मांगने के लिए हमने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. केंद्र अगर आज भी हमको उस पैसे का ब्याज दे दे तो हम मंईयां सम्मान योजना की राशि 1 हजार से बढ़ाकर दो हजार कर देंगे. आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चतरा के इटखोरी में यह बात कही. सीएम ने कहा कि हम गरीब गुरबा को ताकत देने का काम कर रहे हैं तो इनको तकलीफ हो रही है. हमने 200 यूनिट बिजली फ्री कर दिया और बकाया को भी हमने माफ कर दिया है.
वोट के व्यापारियों से सावधान रहना होगा
सीएम ने कहा कि विडंबना देखिए कि मंईयां योजना को लेकर इनके पेट में दर्द हो रहा है, ये इसके खिलाफ कोर्ट चले गये हैं. इनके पास बड़े-बड़े बुद्धिमान लोग हैं. जज-वकील इनके दोस्त हैं. 1 लाख 36 हजार करोड़ बकाया लेने के लिए चुनाव के बाद हमलोग सब मिलकर अपना पैसा लेने दिल्ली जाएंगे. कहा कि हिंदू मुस्लिम, अगड़ा पिछड़ा करके ये लोग चुनाव लड़ता है. ये लोग तो भगवान को भी नहीं बख्शा. यही कारण है कि भगवान राम ने भी इनको सबक सिखाया. हम सरकार की कार्ययोजना को लेकर भटक रहे हैं, और ये लोग वोट खरीदने के झारखंड में भटक रहे हैं. देश का प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और एक दर्जन मुख्यमंत्री झारखंड में गिद्ध की तरह मंडरा रहे हैं. झारखंड जैसे सोने की चिड़िया पर कब्जा करने के लिए वोट के व्यापारियों ने पूरी ताकत लगा रखी है.
अगर मैं जेल से बाहर होता तो, इनसे 12 की 12 सीट ले लेता
सीएम ने कहा कि इनलोगों ने झारखंड में 20 सालों तक शासन किया. हमारी सरकार बने चार साल हुए. इसमें दो साल तो कोरोना में चला गया. फिर झूठा आरोप लगा कर जेल में डाल दिया. जेल जाने से पहले पूरे झारखंड को डिस्टर्ब किया. आखिरकार हम लोकसभा चुनाव में शामिल नहीं हो पाए. इसके बावजूद ये लोग झारखंड में 12 सीट से पिछड़ कर 9 सीट पर आ गये. अगर मैं बाहर होता तो इनसे 12 की 12 सीट ले लेता. फिर यहां की जनता ने इन्हें करारा जवाब दिया है. कहा कि हमने जब 2019 में सरकार बनाई तभी हमने कहा था कि हमारी सरकार रांची हेडक्वार्टर से चलने वाली सरकार नहीं है, ये सरकार गांव से चलने वाली सरकार है. जब डबल इंजन की सरकार थी तब कोई कोरोना नहीं था. कोई महामारी नहीं थी, लेकिन उस समय लोग हाथ में राशन कार्ड लेकर भात-भात करते करते मर गये.