क्रिकेट में ‘डेड बॉल’ उस गेंद को कहा जाता है, जिसे खेल में मान्यता नहीं दी जाती है. इसका मतलब है कि उस गेंद पर कोई रन नहीं बनता और न ही बल्लेबाज को आउट किया जा सकता है. जब कोई गेंद ‘डेड’ होती है, तो खेल रोक दिया जाता है और अगली गेंद फेंकी जाती है.
डेड बॉल की स्थिति
‘डेड बॉल’ की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
1. गेंद फेंकने के बाद : अगर गेंद फेंकने के बाद बल्लेबाज को किसी प्रकार की बाधा या समस्या होती है, जैसे कि गेंद की दिशा में कोई बदलाव आ जाए.
2. गेंद का विकेटकीपर द्वारा नहीं पकड़ा जाना: यदि गेंद सीधे गेंदबाज के हाथों में नहीं आती है या विकेटकीपर उसे नहीं पकड़ पाता है.
3. प्लेयर के घायल होने पर: यदि बल्लेबाज या फील्डर किसी चोट या असुविधा के कारण खेल नहीं कर पाता है.
4. गेंद की स्थिति में बदलाव: अगर गेंद खेल के दौरान किसी चीज़ से टकरा जाती है या किसी बाहरी वस्तु से प्रभावित होती है.
5. खिलाड़ी द्वारा गेंद से बातचीत: अगर बल्लेबाज या फील्डर किसी तरह की बातचीत करते हैं जो खेल को प्रभावित करती है.
डेड बॉल का महत्व
‘डेड बॉल’ नियम का उद्देश्य खेल को उचित तरीके से संचालित करना और खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यह नियम खेल को निष्पक्ष बनाए रखता है और किसी भी प्रकार के विवाद से बचाता है.