झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में अब second generation को राजनीति की विरासत सौपने का दौर भी शुरू होने वाला हैं. झारखंड की सियासत में दो बड़े नाम अपनी बेटियों के कंधे पर जिम्मेदारी सौपने के मूड में नजर आ रहे है.
कौन है दो नए चेहरे?
ईचागढ़ सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. इस सीट पर कुर्मी-महतो वोटरों का दबदबा है. पिछली बार सरायकेला में झामुमो, भाजपा और आजसू पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था, वहीं इस बार भी ईचागढ़ सीट पर इस बार कांटे की टक्कर होने वाली है. झामुमो की सविता महतो, भाजपा के कई दावेदार अरविंद कुमार सिंह और आजसू के हरेलाल महतो ने चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रखी है. वर्तमान में झामुमो की सविता महतो ईचागढ़ सीट से विधायक हैं. वह झारखंड के पूर्व कद्दावर नेता स्वर्गीय सुधीर महतो की पत्नी हैं. झामुमो की ओर से उन्हें एक बार फिर से टिकट दिया जाना लगभग तय है. हालांकि राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि इस बार जेएमएम की ओर से सविता महतो की बेटी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
संथाल परगना को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गढ़ माना जाता है, लेकिन दुमका जिले की जामा विधानसभा सीट सोरेन परिवार के लिए विशेष महत्व रखती है. इस क्षेत्र में लगभग 45 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं, इसके अलावा करीब 6 प्रतिशत यादव और 22 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां हैं. इस सीट पर शिबू सोरेन, उनके दिवंगत पुत्र दुर्गा सोरेन और बहू सीता सोरेन विधायक रह चुके हैं. हालांकि, इस बार स्थिति में बड़ा बदलाव आया है. सीता सोरेन, जो झामुमो की टिकट पर तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं, अब भाजपा में शामिल हो गई हैं. जबकि झामुमो की क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति बनी हुई है. इसी को देखते हुए इस बाद सीता सोरेन शायद खुद चुनाव से दूर रहें और बेटी जयश्री सोरेन को चुनावी मैदान में उतारें.